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मकर संक्रांति की कहानी

यह कहानी हमें प्रकृति का धन्यवाद करने के लिए प्रेरित करती है।

मकर संक्रांति की कहानी

Story


एक समय की बात है एक गाँव में एक लड़का रहता था, जिसका नाम था आरव। आरव को त्योहार बहुत पसंद थे। एक सर्दी की सुबह 13 जनवरी को, आरव ने अपनी माँ को रसोई में स्वादिष्ट खाना बनाते हुए देखा। उसकी दादी आग के पास बैठी हुई थी और तिल के लड्डू बना रही थीं। 


आरव जल्दी से दादी के पास बैठ गया और बोला, "दादी, आप क्या बना रही हो?"


makar sankranti ki kahani 1

"कल मकर संक्रांति है ना इसलिए मैं लड्डू बना रही हूँ," दादी ने कहा। 


" मकर संक्रांति क्या है, दादी?


"मकर संक्रांति एक बहुत ही खास त्योहार है जो हम हर साल मानते हैं? दादी ने कहा।


"पर हम मकर संक्रांति मानते क्यों हैं?" "इस त्योहार के बारे में मुझे और बताओ ना दादी,"आरव ने कहा।


दादी बोलीं, "ज़रूर बेटे, मैं तुम्हें मकर संक्रांति के बारे में सबकुछ बताउंगी।"


दादी मुस्कुराते हुए कहानी सुनाने लगीं :


"मकर संक्रांति वह दिन है जब सूरज उत्तर दिशा की ओर अपना सफर शुरू करता है। इसके साथ ही सर्दियाँ कम होने लगती हैं और रोशनी और गर्माहट भरे दिनों की शुरुआत होने लगती है। ऐसा कहा जाता है कि मकर संक्रांति पर सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर, मकर में उनसे मिलने जाते हैं। यह बात हमें सभी के साथ प्यार भरे रिश्ते रखने का संदेश देती है।


लोग मानते हैं कि इस दिन सूरज देवता धरती को खुशाली और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इस दिन किसान सूर्यदेव और प्रकृति माँ को अच्छी फसल के लिए धन्यवाद करते हैं, और आगे भी उनकी मेहनत सफल हो ऐसी कामना करते हैं। इसलिए यह त्योहार प्रकृति को धन्यवाद करने का एक तरीका है।"


आरव यह सुनकर बहुत खुश हुआ। "तो, यह सूरज और धरती को धन्यवाद कहने का दिन है?" उसने पूछा।


"बिल्कुल सही!" दादी ने सिर हिलाते हुए कहा। "अब मैं तुम्हें बताती हूँ कि हम मकर संक्रांति कैसे मनाते हैं।"


makar sankranti ki kahani 2

"क्या तुम्हे पता है आरव, मकर संक्रांति को पतंगों का उत्सव भी कहा जाता है? इस दिन आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है, इसलिए इसे पतंगों का त्योहार भी कहते हैं। इस दिन लोग पतंग उड़ाते हैं और आपस में मुलाबला करते हैं कि किसकी पतंग सबसे ऊँची उड़ेगी। बच्चों को तो पतंग उड़ना बहुत ही अच्छा लगता है।


"हम तिल और गुड़ की मिठाई भी बनाते हैं," दादी ने कहा। "तिल और गुड़ एकता और प्यार का प्रतीक हैं। यह हमें सिखाते हैं कि हमें हमेशा मिल-जुलकर रहना चाहिए।" दादी ने आरव को तिल-गुड़ का लड्डू देते हुए कहा।


"कुछ जगहों पर आग जलाते हैं और उसके चारों-तरफ नाचते-गाते हैं और अच्छी फसल की खुशी मनाते हैं। किसान इस अपने मेहनत के सफल होने की खुशी मानते हैं," दादी ने कहा।


"कुछ लोग गंगा, यमुना या गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और सूर्यदेव से अपने परिवार की खुशी और अच्छी सेहत के लिए प्रार्थना करते हैं," दादी ने मुस्कुराते हुए कहा।


इस दिन लोग जरूरतमंदों को खाना और कपड़े बाँटते हैं। दादी ने कहा, "यह त्योहार प्यार और मदद का संदेश देता है।"


मकर संक्रांति मनाने के लिए उत्साहित आरव ने अपने पापा के साथ एक बड़ी और रंग-बिरंगी पतंग बनाने का फैसला किया। उन्होंने पतंग पर " सुर्यदेवाय नमः" लिखा।


makar sankranti ki kahani 3

अगली सुबह, 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन, आरव और उसके परिवार ने सूरज देवता की पूजा की। पूजा के बाद, आरव ने अपने पापा के साथ पतंग उड़ाई। शाम को, उन्होंने इस साल की अच्छी फसल के लिए धरती माँ का धन्यवाद किया।


जैसे ही सूरज ढला, आरव ने अपनी दादी की ओर देखा और कहा, "अब यह मेरा सबसे पसंदीदा त्योहार है! यह खुशी और मज़े से भरा हुआ है।"


makar sankranti ki kahani 4

इस तरह, आरव और उसके परिवार ने प्यार, हँसी और ढेर सारी सीख के साथ मकर संक्रांति का उत्सव मनाया।यह दिन उनके लिए यादगार बन गया।

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श्लोक

श्लोक स्रोत: सूर्य गायत्री मंत्र


ओम आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयत।।


हम उस चमकते सूर्यदेव पर ध्यान करते हैं, जो हर तरह की ऊर्जा का स्रोत हैं और जो रोशनी और प्रकाश लाते हैं। सूर्य हमें प्रेरित करें और हमारा मार्गदर्शन करें।

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Story type: Motivational

Age: 7+years; Class: 3+

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