ब्रह्माजी का संदेह - कृष्ण लीला
यह कहानी हमें सिखाती है कि संसार की हर चीज़ भगवान का ही रूप है।
Story
एक दिन कृष्ण अपने दोस्तों के साथ बगीचे में भोजन कर रहे थे। सभी ग्वाल बालों की गायें वहीं पास में घास चर रही थी। कृष्ण बड़े ही प्रेम से अपने दोस्तों के साथ एक ही थाली में भोजन कर रहे थे। कभी कृष्ण अपने दोस्तों का जूठन खाते तो कभी उनके दोस्त कृष्ण का।
यह दृश्य ब्रह्मा जी अपने लोक से देख रहे थे। उन्हें भगवान कृष्ण का अपने दोस्तों का जूठन खाना कुछ अच्छा नहीं लगा। ब्रह्माजी सोचने लगे कि यह कैसा भगवान है जो दूसरों का जूठन खाता है।
उनके मन में संदेह उठा कि कृष्ण सचमुच भगवान है या नहीं! अपने मन का शक दूर करने के लिए ब्रह्मा जी ने कृष्ण की परीक्षा लेने का फैसला किया।
जब सभी ग्वाल बाल और कृष्ण मज़े से भोजन कर रहे थे तभी ब्रह्मा जी ने अपनी शक्ति से उनकी गायों को अपने लोक में छुपा दिया।
गायों को आसपास न देखकर सभी ग्वाल बाल चिंता में पड़ गए और कृष्ण से बोले, “कान्हा, हमारी गैया कहाँ गई? अभी तो यहीं घास चर रही थी।”
कृष्ण बोले, “तुम सब चिंता मत करो, मैं अभी उन्हें ढूँढ कर लाता हूँ।” यह कहकर कृष्ण गायों को ढूँढने चले गए। मौका पाते ही ब्रह्माजी सभी ग्वाल बालों को लेकर ब्रह्मलोक चले गए।
कृष्ण ने देखा कि उनके दोस्त भी गायब हो गए थे। कृष्ण ने अपनी शक्ति से जान लिया कि ये सब ब्रह्माजी कर रहे हैं।
कृष्ण ने सोचा, “लगता है ब्रह्माजी को सच दिखाना ही होगा।”
कृष्ण ने खुद ही सभी ग्वाल बालों और गायों का रूप ले लिया और गाँव में लोगों के बीच चले गए। एक साल बीत गया पर किसी को पता नहीं चला कि गायों और ग्वाल बालों के रूप में खुद कृष्ण ही हैं।
ब्रह्माजी को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने कृष्ण से माफी माँगी और सभी ग्वाल बालों और गायों को फिर से धरती पर भेज दिया।
तब कृष्ण ने ब्रह्माजी को समझाया कि संसार की हर चीज़ – इंसान, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, नदियाँ, पहाड़ और बाकी सभी कुछ मेरा यानी भगवान का ही रूप है।
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स्रोत: भागवतं
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Story type: Spiritual, Mythological
Age: 7+years; Class: 3+