श्री कृष्ण जन्म कथा
यह कहानी हमें सिखाती है कि सच और अच्छाई हमेशा बुराई से जीतती है।
Story
भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कथा सबसे रोमांचक और साहसिक कहानियों में से एक है। श्रीकृष्ण जन्म कथा भागवतं पुराण में पढ़ने को मिलती है, जो हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रंथों में से एक है। कहानी इस प्रकार है:
बहुत समय पहले की बात है, मथुरा नगरी में कंस नाम का एक राजा था। वह बहुत क्रूर था और अपनी जनता को बहुत परेशान किया करता था। कंस की एक बहन थी देवकी। कंस ने देवकी का विवाह राजा शूरसेन बेटे वासुदेव से किया था।
विवाह के बाद जब कंस अपनी बहन देवकी को वासुदेव के साथ विदा कर रहा था तभी उसने एक आकशवाणी सुनी कि उसकी बहन देवकी का आठवां बेटा उसको साज़ा देने के लिए धरती पर जन्म लेगा।
यह आकशवाणी सुनकर कंस बहुत ही डर गया। कंस ने फैसला किया कि वह देवकी और उसके पति वसुदेव को अपनी निगरानी में रखेगा, ताकि यह आकशवाणी पूरी न हो सके।
देवकी ने एक-एक कर छः बच्चों को जन्म दिया, कंस ने देवकी के सभी बच्चों को उससे दूर कर दिया। देवकी और वसुदेव यह सब देखकर बहुत दुखी हुए। उन्होंने कंस से विनती की कि वह उनके बच्चों को उनसे दूर ना करे पर कंस ने उनकी एक न सुनी और सातवें बच्चे को भी उनसे दूर करने की धमकी दी।
कुछ समय बिता, देवकी अपने आठवें पुत्र को जन्म देने वालीं थीं। अचानक उनका अँधेरा कमरा रोशनी से जगमगा उठा। भगवान कृष्ण देवकी के आठवें पुत्र के रूप में प्रकट हुए। उनका दिव्य तेज इस बात का संकेत था कि अब बुराई के अंत का समय आ गया है।
उनके कमरे के दरवाज़े अपनेआप ही खुल गए। सभी पहरेदार गहरी नींद में सो गए। तभी एक आकशवाणी हुई, “वासुदेव, इस पुत्र को बचाना बहुत ज़रूरी है इसलिए तुम इस बालक को गोकुल में नन्द को दे आओ।”
वासुदेव ने कृष्ण को एक टोकरी में लिटाया और टोकरी अपने सिर पर रखकर गोकुल की ओर चल दिए। गोकुल पहुँचने के लिए वासुदेव को विशाल यमुना नदी पार करनी थी। ज़ोरों की बारिश हो रही थी, शेषनाग ने अपने फन से छाया कर कृष्ण को बारिश से बचाया। वासुदेव यमुना नदी पार कर अपने मित्र नंद के घर गोकुल पहुँचे।
नन्द की पत्नी यशोदा ने उसी समय एक कन्या को जन्म दिया था। वासुदेव ने कृष्ण को पालने में लिटाया और कन्या को लेकर मथुरा आ गए।
कंस ने उस कन्या को भी देवकी और वासुदेव से दूर करने की कोशिश की। पर वह कोई साधरण कन्या नहीं थी वह एक देवी थी। देवी ने कंस को अपना असली रूप दिखाया और उसे चेतावनी दी कि उसे उसके बुरे कामो की सज़ा देने वाला इस धरती पर जन्म ले चुका है।
गोकुल में, नंद बाब और यशोदा माँ ने कृष्ण का बड़े प्यार से लालन-पालन किया। कृष्ण ने बचपन में कई लीलाएँ दिखाईं जिनका गोकुलवासियों ने बहुत आनंद लिया।
कुछ सालों बाद, जब कृष्ण बड़े हो गए तब वह मथुरा वापस आए। उन्होंने कंस को उसके बुरे कामों की सजा दी और सबको सही और अच्छे कर्म करने की सीख दी।
श्रीकृष्ण जन्म कथा हमें सीखाती है कि बुराई चाहें कितनी भी शक्तिशाली हो जीत हमेशा सच्चाई और अच्छाई की ही होती है।
भगवान कृष्ण का जन्म हर साल पूरे देश में कृष्णजन्माष्टमी के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
नोट : इस कहानी के कुछ प्रसंग बच्चों के लिए संवेदनशील हैं अतः हमने कहानी में कुछ बदलाव करने की स्वतंत्रता ली है।
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स्रोत: भगवद् गीता
भगवद् गीता में कृष्ण कहते हैं
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥
मैं दुनिया में अच्छे लोगों की मदद करने, बुरे लोगों को रोकने के लिए आता हूँ। मैं यह तय करता हूँ कि हर कोई सही रास्ते पर चले। मैं यह बार-बार करता हूँ, जब भी इसकी आवश्यकता होती है।
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Story type: Motivational
Age: 7+years; Class: 3+