गीता जयंती (या गीता महोत्सव) एक हिंदू पर्व है जो उस दिन को समर्पित है, जब भगवान कृष्ण ने अपने मित्र और शिष्य अर्जुन को जीवन को उपयोगी बनाने, धर्म की राह पर चलने और अपने कर्तव्य पालन करने का ज्ञान दिया। ये शिक्षाएँ भगवद् गीता में संकलित हैं, जो विश्व के सबसे श्रेष्ठ धर्मग्रंथों में से एक है। श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान महाभारत के युद्ध के दौरान दिया था। ऐसा माना जाता है कि यह घटना मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (11वें दिन) को घटित हुई थी।
myNachiketa प्रस्तुत करता है गीता जयंती पर 10 लाइन
गीता जयंती एक बहुत ही खास दिन है जिसे भगवद् गीता के जन्म के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
महाभारत के युद्ध से ठीक पहले, भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को भगवद् गीता का उपदेश दिया था।
कृष्ण ने अर्जुन के सवालों के जवाब दिए और उन्हें उनका कर्तव्य याद दिलाया।
भगवद् गीता का संकलन महान ऋषि महर्षि वेद व्यास ने किया था।
इस पुस्तक में 18 अध्याय और कुल 700 श्लोक हैं।
भगवद् गीता हमें जीवन के महत्वपूर्ण पाठ सिखाती है, जैसे हमेशा अपना कर्तव्य निभाना, निष्काम कर्म करना, सफलता और असफलता में शांत रहना, और भगवान पर विश्वास रखना।
गीता जयंती पर लोग गीता के श्लोकों का पाठ करते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।
गीता जयंती पर लोग कुरुक्षेत्र में आकर यहाँ के पवित्र सरोवरों - सन्निहित सरोवर और ब्रह्मा सरोवर के पवित्र जल में स्नान करते हैं।
इस दिन काई स्कूल, संस्थाएँ और एन जी ओ भगवद् गीता वितरित करते हैं ताकि सभी इसका ज्ञान प्राप्त कर सकें।
गीता जयंती पर हमें गीता के अमूल्य ज्ञान के लिए आभारी होना चाहिए जिसे अपनाकर अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
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