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अथर्ववेद के मंत्र



अथर्ववेद भारत के चार महत्वपूर्ण प्राचीन ग्रंथों में से एक है जिन्हें वेद कहते हैं। myNachiketa पेश करता है बच्चों के लिए अथर्ववेद के 5 ज्ञानवर्धक मंत्र सरल अर्थ और गहरे संदेश के साथ जो भगवान की महानता के बारे में सिखाते हैं। ये शिक्षाएँ हमें बुद्धिमान बनने और अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करती हैं और यह सीख देती हैं कि भगवान हर जगह हैं।


ये त्रिषप्ताः परियन्ति विश्वा रूपाणि बिभ्रतः।   वाचस्पतिर्बला तेषां तन्वो अद्य दधातु मे ॥

1. Mantra

ये त्रिषप्ताः परियन्ति विश्वा रूपाणि बिभ्रतः।

वाचस्पतिर्बला तेषां तन्वो अद्य दधातु मे ॥


अर्थ

यह अथर्ववेद मंत्र ईश्वर से की गई एक प्रार्थना है कि वह हमें हर चीज़ का सार, नाम, रूप, शक्तियों, कार्यों और संबंधों की पूरी समझ का आशीर्वाद दें।


संदेश

जैसे हमारे शिक्षक हमें नई चीजें सिखाते हैं और हमारी समस्याओं को हल करने में मदद करते हैं, वैसे ही भगवान हमें खुद को और हमारे चारों ओर की दुनिया को बेहतर ढंग से समझने की बुद्धि देते हैं।


 

इहैवाभि वि तनूभे आर्त्नी इव ज्यया। वाचस्पतिर्नि यच्छतु मय्येवास्तु मयि श्रुतम् ॥

2. Mantra

इहैवाभि वि तनूभे आर्त्नी इव ज्यया।

वाचस्पतिर्नि यच्छतु मय्येवास्तु मयि श्रुतम् ॥


अर्थ

यह अथर्ववेद मंत्र कहता है कि शिक्षक और विद्यार्थी दोनों को ही सीखने और सिखाने के अनुभव का आनंद लेना चाहिए और जिस तरह जैसे एक पूरी तरह खिंचा हुआ धनुष की डोरी धनुष के दोनों सिरों को जोड़े रखती है वैसे ही ज्ञान गुरु और शिष्य को जोड़े रखता है। ईश्वर हमें इस यात्रा में मार्गदर्शन दें। जो कुछ भी मैं सुनू और सीखूँ, वह मेरे साथ बना रहे।


संदेश

हमें भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए कि वे हमें ऐसे शिक्षक दें जो पढ़ाने का उतना ही आनंद लें जितना हम सीखने का लेते हैं। जो कुछ भी हम सीखें, वह हमेशा हमारे साथ बना रहे।


 
इन मंत्रों के अर्थ को समझने के लिए इस वीडियो को देखें।


 

दिव्यो गन्धर्वो भुवनस्य यस्पतिरेक एव नमस्यो विक्ष्वीड्यः।   तं त्वा यौमि ब्रह्मणा दिव्य देव नमस्ते अस्तु दिवि ते सधस्थम् ॥

3. Mantra

दिव्यो गन्धर्वो भुवनस्य यस्पतिरेक एव नमस्यो विक्ष्वीड्यः।

तं त्वा यौमि ब्रह्मणा दिव्य देव नमस्ते अस्तु दिवि ते सधस्थम् ॥


अर्थ

यह अथर्ववेद मंत्र कहता है कि भगवान वह हैं जो तारों, ग्रहों और अंतरिक्ष की हर चीज को नियंत्रित करते हैं। वह ज्ञान और अच्छाई के स्रोत हैं। यह सर्वोच्च और दयालु भगवान, परमेश्वर, हमारे प्रेम और सम्मान के योग्य हैं। हम वेदों के ज्ञान के माध्यम से उनसे जुड़ते हैं। उन पर पूरी तरह विश्वास और उनका सम्मान करके, हम अपने दिलों में उन्हें महसूस कर सकते हैं।


संदेश

हम इस बात से कितने हैरान होते हैं कि हमारे पसंदीदा सुपरहीरो बारिश को रोक सकते हैं, ग्रहों की गति को बदल सकते हैं और उल्कापिंडों को नष्ट कर सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि असली सुपरहीरो भगवान हैं जो पूरे ब्रह्मांड को नियंत्रित करते हैं? उनकी शक्ति से ग्रह गति करते हैं, तारे चमकते हैं, नदियाँ बहती हैं और संसार की सभी चीज़ें होती हैं। भगवान सबसे शक्तिशाली हैं और असली सुपरहीरो हैं।


 

संज्ञानं नः स्वेभिः संज्ञानमरणेभिः। संज्ञानमश्विना युवमिहास्मासु नि यच्छतम् ॥

4. Mantra 

संज्ञानं नः स्वेभिः संज्ञानमरणेभिः।

संज्ञानमश्विना युवमिहास्मासु नि यच्छतम् ॥


अर्थ

यह अथर्ववेद का मंत्र भगवान से प्रार्थना है कि वह हमें अपने लोगों और दूसरों को समझने में सहायता करें। हे भगवान, हमें यह संतुलन बनाने में मदद करें।


संदेश

हम अपने दोस्तों के साथ और जिन लोगों को हम अच्छी तरह से नहीं जानते उनके साथ भी प्रेम और समझदारी भरा बर्ताव कर सकते हैं। जैसे भगवान सबको एकजुट रहने में मदद करते हैं, वैसे ही हम भी मिलकर अपने आस-पास एक संतुलन और समझ बनाए रख सकते हैं।


 
ऐसे और मंत्र जानने के लिए पढ़ें हमारी विशेष किताब

 

यो भूतं च भव्यं च सर्वं यश्चाधितिष्ठति। स्वर्यस्य च केवलं तस्मै ज्येष्ठाय ब्रह्मणे नमः ॥

5. Mantra 

यो भूतं च भव्यं च सर्वं यश्चाधितिष्ठति।

स्वर्यस्य च केवलं तस्मै ज्येष्ठाय ब्रह्मणे नमः ॥


अर्थ

यह अथर्ववेद का मंत्र हमें उस एकमात्र भगवान को श्रद्धांजलि देने के लिए सिखाता है जो अतीत, वर्तमान और भविष्य का संचालन और नियंत्रण करते हैं, और जिनका स्वरुप शुद्ध प्रकाश और आनंद का है।


संदेश

हमें भगवान के प्रति आभारी होना चाहिए कि वह संसार की हर चीज़ की देखभाल करते हैं। वह हमारी देखभाल करते हैं, हमारी ज़रूरतों को पूरा करते हैं और हमारे जीवन को प्रेम और आनंद से भर देते हैं। हमें हमेशा उनकी असीम दया और देखभाल के लिए उनका धन्यवाद करना याद रखना चाहिए।


 

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