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सरस्वती पूजा पर निबंध (Essay on Saraswati Puja in Hindi| Speech on Saraswati Puja in Hindi)

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Essay on Saraswati Puja in English

या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता। 

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


सबसे बड़ा आशीर्वाद जिसे हमें प्राप्त करने की इच्छा रखनी चाहिए, वह है ज्ञान। ज्ञान हमारे मन को शुद्ध करता है और हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। आइए, ज्ञान और कला की देवी माता सरस्वती को नमन करें और उनसे विद्या पाने के लिए प्रार्थना करें।

सरस्वती पूजा एक उमंग और उत्साह से मनाया जाने वाला हिंदू पर्व है, जो माघ महीने में मनाया जाता है। यह पर्व जनवरी या फरवरी में बसंत पंचमी या श्री पंचमी के दिन मनाया जाता है और वसंत ऋतु के आगमन का संकेत देता है। सरस्वती पूजा माता सरस्वती को समर्पित है, जो ज्ञान, बुद्धि, कला और विद्या की देवी हैं। यह दिन उनके दिव्यता का गुणगान करने और शिक्षा और कला में बेहतर होने और के लिए उनसे प्रार्थना करने का दिन है।

देवी सरस्वती कौन हैं?


Essay on Saraswati Puja in English 2

देवी सरस्वती हिंदू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं। उन्हें ज्ञान, शिक्षा, कला, वाणी, काव्य, संगीत, भाषा और संस्कृति की देवी के रूप में पूजा जाता है। उनके गुण सरस्वती नदी से भी जुड़े हैं, जो उन्हें माता के रूप में स्नेह और पोषण करने वाली देवी के रूप में दर्शाते हैं। देवी सरस्वती को संस्कृत भाषा की जननी भी माना जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने देवी सरस्वती की रचना की थी

सरस्वती माता को एक शांत और सौम्य महिला के रूप में चित्रित किया जाता है, जो सफेद साड़ी पहनती हैं। यह सफेद साड़ी पवित्रता, ज्ञान और शुद्धता का प्रतीक है। उनके चार हाथ हैं, हर हाथ में एक विशेष वस्तु है: एक पुस्तक, जो ज्ञान का प्रतीक है; एक माला, जो आध्यात्मिकता को दर्शाती है; एक जलपात्र(घड़ा), जो पवित्रता का प्रतीक है; और एक वीणा, जो कला और रचनात्मकता को दर्शाती है। उनका वाहन सफेद हंस या मोर है, जो पवित्रता और सुंदरता का प्रतीक हैं।

सरस्वती पूजा का महत्व

सरस्वती पूजा का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। यह मुख्य रूप से वसंत ऋतु का त्योहार है, जो विकास और खुशहाली के मौसम की शुरुआत का उत्सव है। यह पर्व जीवन में शिक्षा, ज्ञान और कला के महत्व का प्रतीक है। इस दिन विद्यार्थी, कलाकार और विद्वान माता सरस्वती की पूजा करते हैं और अपने क्षेत्र में सफलता के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

पीला रंग वसंत ऋतु का प्रतीक है और सरस्वती पूजा का प्रमुख रंग है। यह रंग ऊर्जा, समृद्धि और खुशी को दर्शाता है। इस मौसम में पीले सरसों के फूल खिलते हैं, और पीले रंग का उपयोग उत्सव के हर हिस्से में किया जाता है। देवी को गेंदे जैसे पीले फूल अर्पित किए जाते हैं, और पारंपरिक व्यंजन जैसे केसरी भात, केसरी लड्डू और हलवा पीले रंग में बनाए जाते हैं जो देवी को भोग लगाए जाते हैं।

सरस्वती पूजा कैसे मनाई जाती है?

सरस्वती पूजा बड़े उत्साह और उमंग के साथ के साथ मनाया जाने वाला त्योहार है, विशेष रूप से पूर्वी राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, बिहार और नेपाल में। लोग माता सरस्वती की पूजा अपने घरों, स्कूलों और मंदिरों में करते हैं। कई स्थानों पर, विशेष रूप से स्कूलों और कला संस्थानों में, पंडाल लगाए जाते हैं, जहाँ विद्यार्थी और युवा उत्सव में भाग लेते हैं।

Saraswati Puja Celebration

स्कूलों में देवी सरस्वती की मूर्ती रखी जाती है, विद्यार्थी सरस्वती वंदना गाते हैं, और देवी से ज्ञान और कौशल का आशीर्वाद माँगते हैं। माता सरस्वती के प्रति श्रद्धा और सम्मान दिखाने के लिए स्कूलों में संगीत, नृत्य, निबंध लेखन जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। माता सरस्वती के आशीर्वाद का प्रतीक के रूप में बच्चों के बीच प्रसाद बाँटा जाता है।


इस दिन एक विशेष अनुष्ठान, जिसे अक्षर-अभ्यास या विद्या-आरंभ कहते हैं, किया जाता है, जिसमें छोटे बच्चों को शिक्षा से परिचित कराया जाता है। लोग देवी सरस्वती की प्रतिमा के पास किताबें, वाद्य यंत्र और अध्ययन से जुड़े उपकरण रखते हैं, ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। भक्त पीले या बसंती रंग के वस्त्र पहनते हैं, और देवी सरस्वती की प्रतिमा को पीले फूलों से सजाया जाता है।

निष्कर्ष

सरस्वती पूजा एक सुंदर त्योहार है, जो हमें जीवन में ज्ञान और कला के महत्व की याद दिलाता है। यह पर्व लोगों में आपसी एकता, खुशी और प्रेम के भाव को बढ़ावा देने के साथ ही वसंत ऋतु के आगमन का संकेत देता है। सरस्वती पूजा, माता सरस्वती के प्रति अपनी भक्ति प्रकट करने और शिक्षा को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने का समय है।

 


 
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