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विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
गणेश भगवान को नमस्कार, जो सभी बाधाओं को दूर करते हैं (विघ्नहर्ता), आशीर्वाद और वरदान देते हैं, जिनसे देवता भी प्रेम करते हैं। उनके बड़े पेट में पूरे ब्रह्मांड की विशालता झलकती है, और वे पूरे संसार का आधार हैं। बार-बार प्रणाम और सम्मान उन भगवान को, जो सांपों को आभूषण की तरह पहनते हैं, जिन्हें वैदिक मंत्रों से पूजा जाता है, जो माता गौरी (पार्वती) के पुत्र हैं और भगवान शिव के गणों के स्वामी हैं।
गणेश जयंती: भक्ति और उत्सव का त्योहार
माघ गणेश जयंती, जिसे गणेश जयंती या तिलकुंद चतुर्थी भी कहते हैं, एक पवित्र हिंदू त्योहार है जो भगवान गणेश को समर्पित है। भगवान गणेश बाधाओं को दूर करने वाले, ज्ञान, समृद्धि और नई चीज़ों की शुरुआत के लिए पूजे जाते हैं। यह त्योहार हिंदू महीने माघ (जनवरी-फरवरी) में बढ़ते चंद्रमा की चौथ (चतुर्थी) को मनाया जाता है जो भक्तों के दिलों में एक खास स्थान रखता है।
myNachiketa प्रसन्नता पूर्वक गणेश जयंती की महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करता है, ताकि बच्चे इस त्योहार का महत्व समझ सकें, भगवान गणेश की कहानियाँ जान सकें और इसे मनाने के रंग-बिरंगे तरीकों को जानें।
माघ गणेश जयंती क्यों मनाई जाती है?
माघ गणेश जयंती भगवान गणेश के जन्म का दिन है। भगवान गणेश को बुद्धि और सफलता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं ताकि वह जीवन में बेहतर बन सकें। इस दिन को भगवान गणेश की भक्ति करने से सुख-समृद्धि आती , बाधाएँ दूर होती हैं और इच्छाएँ पूरी होती हैं।
भगवान गणेश के जन्म के पीछे की कहानी
भगवान शिव की पत्नी, माँ पार्वती कैलाश पर्वत पर रहती थीं। एक दिन माता पार्वती को कोई ज़रूरी काम करना था, वह चाहती थीं कि कोई उनके कक्ष के द्वार की रक्षा करे ताकि उनके आम में कोई बाधा ना पड़े। उन्होंने चंदन के लेप से एक मूर्ति बनानी शुरू की। माँ पार्वती ने प्यार और ध्यान मूर्ति को एक छोटे बालक का रूप दिया। जब मूर्ति तैयार हो गई, तो उन्होंने अपनी दिव्य शक्तियों से उसमें जान डाल दी। लड़के के जीवित होते ही माँ पार्वती बहुत खुश हुईं और उन्होंने उसे अपना बेटा मान लिया।
जब भगवान शिव माँ पार्वती से मिलने आए, तो उनके बेटे ने उन्हें माँ पार्वती के कक्ष में जाने से रोक दिया। भगवान शिव के बार-बार समझाने पर भी जब बालक नहीं मन तब शिवजी ने क्रोध में आकर त्रिशूल से उस बालक का सिर काट दिया। जब माँ पार्वती बाहर आईं और यह देखा, तो वह बहुत दुखी हो गईं। भगवान शिव सच्चाई जानकार बहुत दुखी हुए और उन्होंने वादा किया कि वह बालक को फिर से जीवित करेंगे। उन्होंने अपने गणों को भेजा कि जो भी सबसे पहला जीवित प्राणी मिले, उसका सिर लेकर आओ। गण एक हाथी का सिर ले आए। भगवान शिव ने हाथी का सिर बालक के शरीर पर रख दिया और उसे फिर से जीवित कर दिया। माँ पार्वती अपने बेटे को फिर से जीवित देखकर बहुत खुश हुईं।
भगवान शिव ने बालक को आशीर्वाद दिया और उसका नाम गणेश रखा। बालक गणेश, भगवान शिव के गणों का प्रमुख बन गए। लोग गणेश जी की पूजा करते हैं क्योंकि वह बाधाओं को दूर करते हैं। वह हर नई शुरुआत से पहले भी पूजे जाते हैं इसलिए उन्हें प्रथम पूज्य भी कहा जाता है।
माघ गणेश जयंती कैसे मनाई जाती है?
भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और गणेश जी की मूर्ति घरों या मंदिरों और पंडालों में स्थापित करते हैं। गणेश जी की मूर्ति को फूलों और हल्दी से सजाया जाता है। प्रार्थना के समय खास प्रसाद जैसे मोदक और तिलगुड़ लड्डू भगवान गणेश को चढ़ाए जाते हैं। कई भक्त पूरे दिन का उपवास रखते हैं और सिर्फ फल, दूध और मिठाई जैसी चीजें खाते हैं। उपवास शाम की आरती के बाद खोला जाता है।
माघ गणेश जयंती, भगवान गणेश से ज्ञान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करने का एक सुनहरा अवसर है। भगवान गणेश के बड़े कान हमें ध्यान से सुनने की सीख देते हैं, उनकी छोटी आँखें ध्यान केंद्रित करने का प्रतीक हैं, और उनकी सूंड रुकावटों को हटाकर परिस्थिति के अनुसार ढलने की सीख देती है। यह दिन भक्तों को इन गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है, जिससे उनके जीवन में ज्ञान और दृढ़ संकल्प मजबूत होता है।
यह दिन हमें याद दिलाता है कि गणेश जी हमेशा हमें सही रास्ते और खुशहाली की ओर ले जाने में मदद करते हैं।
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