रामायण एक प्रचीन पुस्तक है जिसे ऋषि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में लिखा था। उन्होंने इसमें भगवान राम के प्रेरणादायक जीवन के बारे में बताया है। गोस्वामी तुलसीदास ने अवधी भाषा में रामकथा की रचना की जिसे रामचरितमानस कहा जाता है रामचरितमानस में 7 कांड हैं और 1000 से अधिक दोहे हैं। myNachiketa प्रस्तुत करता है बच्चों के लिए रामायण के 10 प्रमुख दोहे सरल अर्थ और प्रभावी संदेश के साथ, जो भगवान राम की तरह एक आदर्श जीवन जीने की सीख देते हैं। जिस तरह श्रीराम जीवन ही हर कठिनाई का सामना करते हुए भी हमेशा सच की राह पर चले उसी तरह हमें सच्चाई और अच्छाई का जीवन जीना चाहिए।
1. दोहा
राजिव नयन धरे धनु सायक।
भगत बिपति भंजन सुखदायक॥
अर्थ
रामायण के इस दोहे में हम भगवान राम का गुणगान करते हैं जो अपने भक्तों की परेशानियों को दूर करते हैं और उनका जीवन खुशियों से भर देते हैं।
संदेश
भगवान हमेशा हमारी समस्याओं को हल करते हैं और हमारे चेहरे पर मुस्कान लाते हैं। हमें हमेशा भगवान को धन्यवाद करना चाहिए।
2. दोहा
दैहिक दैविक भौतिक तापा।
राम राज्य नहिं काहुहिं ब्यापा॥
अर्थ
रामायण का यह दोहा कहता है कि राम के राज्य में किसी भी प्रकार का दुख नहीं होता और सभी लोग खुशी-खुशी रहते हैं।
संदेश
जैसे हमारे माता-पिता हमारा ध्यान रखते हैं और हमें प्यार करते हैं, वैसे ही भगवान हर जीव का ख्याल रखते हैं और उसे महत्व देते हैं।
इन दोहों को और गहराई से समझने के लिए पढ़ें हमारी यह विशेष किताब।
3. दोहा
बयरु न कर काहू सन कोई।
राम प्रताप विषमता खोई॥
अर्थ
रामायण के इस दोहा में भगवान राम सबको प्रेम से रहने की प्रेरणा देते हैं और उनके बीच के मतभेदों को दूर करते हैं।
संदेश
कभी-कभी, जब हम अपने दोस्तों या भाई-बहनों से छोटी-छोटी बातों पर बहस करते हैं, तो हमारे माता-पिता या शिक्षक हमें एक-दूसरे को समझने और हमारे मुद्दों को सुलझाने में मदद करते हैं, जिससे हमारे बीच फिर से सद्भाव स्थापित हो जाता है।
4. दोहा
रामकथा सुंदर करतारी।
संसय बिहग उड़वन्हि हारी॥
अर्थ
रामायण का यह दोहा रामकथा की शक्ति और सुंदरता पर जोर देता है, जो सभी संदेहों को दूर करती है और मन में सरलता और शांति लाती है।
संदेश
हमें अच्छे पुस्तकें पढ़नी चाहिए और ज्ञान प्राप्त करना चाहिए, क्योंकि ज्ञान ही हमें सही और गलत के बीच अंतर करने में मदद करता है और हमें जीवन में सही काम करने में मदद करता है।
इन दोहों को गहराई से समझने के लिए यह वीडियो देखें।
5. दोहा
कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहिं होहि तात तुम्ह पाहीं॥
अर्थ
रामायण का यह दोहा भगवान की शक्ति का गुणगान करता है। भगवान की कृपा से, दुनिया में सब कुछ संभव है।
संदेश
कभी-कभी हम अपनी क्षमता पर संदेह करते हैं और सोचते हैं कि हम अपने लक्ष्यों को पा नहीं सकते। लेकिन ऐसे समय में हमें याद रखना चाहिए कि हमारे भीतर भगवान की शक्ति है जो सब कुछ संभव बना देती है।
6. दोहा
राम सुमिर सुमिर सुखु होई।
दुख लहहिं दरिद्रता लोई॥
अर्थ
रामायण का यह दोहा कहता है कि भगवान राम को लगातार याद करने से आनंद मिलता है और लोगों की दुख और गरीबी दूर होती है।
संदेश
अपने मन में भगवान को महसूस कर हम खुश होते हैं और हमारी सारी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं।
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7. दोहा
करम प्रधान विश्व करि राखा।
जो जस करई सो तस फलु चाखा।।
अर्थ
रामायण का यह दोहा कहता है कि भगवान इस दुनिया में कर्म को सबसे अधिक महत्व देते हैं। हर किसी को अपने कार्यों का परिणाम मिलता है, चाहे वह अच्छा हो या बुरा।
संदेश
जब आप अपने दोस्त की होमवर्क में मदद करते हैं, तो वे खुश होते हैं और आपको भी उस विषय को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलती है। उसी तरह, जब हम अच्छे काम करते हैं, जैसे दूसरों की मदद करना और अपना काम ईमानदारी से करना, तो भगवान हमारे प्रयासों से खुश होते हैं और हमारी मदद करते हैं।
8. दोहा
जड़ चेतन गुन दोषमय बिस्व कीन्ह करतार।
संत हंस गुन गहहिं पय परिहरि बारि बिकार।।
अर्थ
रामायण का यह दोहा कहता है कि भगवान ने इस संसार की हर चीज़ को अच्छाई और बुराई, दोनों ही गुण दिए हैं। जैसे एक हंस दूध से पानी को अलग कर देता है, वैसे ही संत और ज्ञानी लोग हर चीज़ की अच्छाई को अपनाते हैं और बुराई को छोड़ देते हैं।
संदेश
हम उन्हीं लोगों के जैसे बन जाते हैं जिनके साथ हम रहते हैं, इसलिए हमें हमेशा समझदार और अच्छे लोगों की संगति में रहना चाहिए।
9. दोहा
संत कहहिं असि नीति प्रभु श्रुति पुरान मुनि गाव।
होइ न बिमल बिबेक उर गुर सन किएँ दुराव॥
अर्थ
रामायण का यह दोहा कहता है कि सच्चा ज्ञान उन लोगों को नहीं मिलता जो अपने गुरु से चीजें छिपाते हैं। ज्ञानियों और सभी शास्त्रों का कहना है कि सच्चे ज्ञान को पाने के लिए शिष्य-गुरु संबंध में पारदर्शिता और ईमानदारी होनी चाहिए।
संदेश
हमें अपनी कमजोरियों को अपने शिक्षकों से नहीं छिपाना चाहिए, क्योंकि वे ही हमारी कमजोरियों को दूर कर हमें मजबूत बना सकते हैं।
10. दोहा
बचन कर्म मन मोरि गति भजनु करहिं निःकाम।
तिन्ह के हृदय कमल महुँ करउँ सदा बिश्राम॥
अर्थ
रामायण का यह दोहा कहता है कि जिनके कर्म, वचन और मन में मैं रहता हूँ और जो निष्काम भाव से मेरा भजन करते हैं, उनके हृदय में मैं हमेशा विराजमान रहता हूँ।
संदेश
भगवान उन लोगों को आशीर्वाद देते हैं जो अपने सभी कार्य—पढ़ाई करना, खेलना, पेंटिंग करना, दूसरों की मदद करना, या पौधों और जानवरों की देखभाल करना, भगवान को याद कर के करते हैं।
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