ओम नम: सूर्याय शान्ताय सर्वरोग निवारिणे।
आयुररोग्य मैस्वैर्यं देहि देव: जगत्पते।।
Om Namah Suryaya Shantaya Sarva Roga Nivarinay|
Ayur Arogya Maiswaryam Dehi Deva Jagatpate||
शांति देने वाले, सभी रोगों को दूर करने वाले भगवान सूर्य को नमस्कार है। मुझे लंबी आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करें। हे सृष्टि के स्वामी, मुझे ये आशीर्वाद दें।
रथ सप्तमी, जिसे "सूर्य देव का त्योहार" या सूर्य जयंती भी कहते हैं, एक खास हिंदू त्योहार है। इस दिन हम सूर्य देव की पूजा करते हैं, क्योंकि वे धरती पर ऊर्जा और जीवन का स्रोत हैं।
myNachiketa बच्चों के लिए रथ सप्तमी या सूर्य जयंती पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करता है।
रथ सप्तमी माघ (जनवरी-फरवरी) महीने में शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के बढ़ते चरण) के सातवें दिन (सप्तमी) को मनाई जाती है। इस दिन सूर्य देव का रथ उत्तर की ओर बढ़ता है, जो गर्म और रोशनी भरे दिनों की शुरुआत का संकेत देता है। इस दिन को सूर्य जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जो सूर्य देव का जन्मदिन है। सूर्यदेव को स्वास्थ्य और समृद्धि का देवता माना जाता है।
रथ सप्तमी का मतलब है "रथ का सातवां दिन।" इस दिन सूर्य देव अपने रथ पर सवार होकर आकाश में चलते हैं। उनके रथ को सात घोड़े खींचते हैं। ये सात घोड़े हफ्ते के सात दिनों और रोशनी के सात रंगों का प्रतीक हैं । कहा जाता है कि सूर्य देव के रथ में बारह पहिए होते हैं, जो साल के बारह महीनों को दिखाते हैं। सूर्य के चलने से मौसम बदलते हैं और धरती पर जीवन बना रहता है।
रथ सप्तमी II सूर्य जयंती II का उत्सव
इस दिन, भक्त सूर्योदय से पहले उठते हैं और गंगा या यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इसे अर्घ्य स्नान कहते हैं। स्नान करते समय वे अपने सिर, कंधों और घुटनों पर अर्क के पत्ते रखते हैं, जिससे शरीर और मन शुद्ध होता है। इसकी पत्तियों का औषधीय उपयोग होता है और ये सूर्यदेव को प्रिय हैं, जो अच्छे स्वास्थ्य के प्रदाता हैं, इसलिए अर्घ्य स्नान के दौरान, लोग सूर्य भगवान से अच्छे स्वास्थ्य और रोग-मुक्त जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं।
बहुत लोग अपने घर के बाहर सुंदर रंगोली बनाते हैं, जिसमें सूर्य देव और उनका रथ दिखाते हैं। यह सूर्य भगवान के प्रति उनकी श्रद्धा और सम्मान को दर्शाता है।
कई लोग इस दिन व्रत रखते हैं और फल या सात्विक खाना खाते हैं। भक्त घरों में दिए जलाकर सूर्य भगवन की पूजा करते हैं, लाल फूल चढ़ाते हैं, और सूर्य देव को प्रसाद के लिए खीर जैसी खास चीजें बनाते हैं। रथ सप्तमी के दिन सूर्य नमस्कार करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
भक्त इस दिन सूर्य देव के मंदिरों में जाकर आशीर्वाद लेते हैं। वे सूर्य मंत्रों का जाप करते हैं और सूर्य की ऊर्जा पर ध्यान लगाते हैं। कुछ प्रसिद्ध सूर्य मंदिर हैं – ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर, गुजरात का मोढेरा सूर्य मंदिर और बिहार का दक्षिणार्क मंदिर।
इस दिन किसान अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं, क्योंकि सूर्य का परिवर्तन लंबे दिनों और गर्म मौसम की शुरुआत का संकेत देता है, जो फसलों के अच्छे से बढ़ने के लिए जरूरी है।
हमें इस त्योहार से यह सीखना चाहिए कि जैसे सूर्य देव अपने घोड़ों को नियंत्रित करते हैं और हमेशा उन्हें सही दिशा में चलाते हैं, वैसे ही हमें भी अपने मन को नियंत्रित रखना चाहिए, जो अलग-अलग दिशाओं में भटकता रहता है।
रथ सप्तमी एक खास दिन है जब हम सूर्य भगवान का धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने हमें रोशनी, गर्मी और ऊर्जा दी, जिससे हम बढ़ते हैं और स्वस्थ रहते हैं। यह दिन हमें प्रकृति के आशीर्वाद के लिए आभारी होना और उनका ध्यान रखना सिखाता है।
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