श्री कृष्ण हिंदू धर्म के सबसे पूजनीय भगवानों में से एक हैं, जिन्हें भगवान विष्णु का आठवाँ अवतार माना जाता है। उनकी जीवन कथा और उपदेश मुख्य रूप से भगवद् गीता में लिखे गए हैं। श्री कृष्ण की शिक्षाओं में धर्म, सच्चाई और निष्काम कर्म के महत्व की बात की गई है। श्री कृष्ण का जीवन प्रेम, करुणा और विनम्रता का सुंदर उदाहरण है।
myNachiketa बच्चों के लिए भगवद् गीता पर आधारित भगवान श्री कृष्ण की कुछ महत्वपूर्ण शिक्षाएँ प्रस्तुत करता है। बच्चे श्रीकृष्ण की इन शिक्षाओं को अपने जीवन में अपना कर सच्ची खुशी और शांति महसूस कर सकते हैं।
1. निष्काम कर्म : परिणाम की चिंता किए बिना काम करना
भगवान श्रीकृष्ण के अनुसार, हमें अपने सभी काम परिणाम की चिंता किए बिना करना चाहिए। इसका मतलब है कि हमें सही काम पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करना चाहिए, बिना यह सोचे कि हमें इससे क्या लाभ होगा या क्या इनाम मिलेगा।
जैसे जब आप पढ़ाई करते हैं और परीक्षा देते हैं, तो परिणाम के बारे में न सोचकर बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें। इसी तरह, जब आप किसी खेल या कला प्रतियोगिता में भाग लें तो हार-जीत के बारे में ना सोचकर केवल बेहतरीन प्रदर्शन करें।
2. अपना कर्तव्य (धर्म) निभाओ
धर्म का मतलब है जीवन में अपने कर्तव्य को निभाना और सही रास्ते पर चलना। भगवान श्री कृष्ण के उपदेश हमें सिखाते हैं कि हमें अपने धर्म को पूरी ईमानदारी और अच्छे तरीके से निभाना चाहिए। इसमें हमारे परिवार, समाज या काम के प्रति जिम्मेदारियाँ निभाना शामिल हो सकता है।
श्रीकृष्ण हमें सिखाते हैं कि हमें अपने सभी कर्तव्य बिना किसी निजी सुख या लाभ की उम्मीद के निभाना चाहिए। जैसे, एक छात्र का कर्तव्य है कि वह अच्छे से पढ़ाई करे, एक टीम के खिलाड़ी का कर्तव्य है कि वह टीम के लिए खेले, और एक बच्चे का कर्तव्य है कि वह अपने माता-पिता की बात माने और उनकी मदद करे।
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3. हर कार्य का उद्देश्य महत्वपूर्ण होता है।
भगवान श्रीकृष्ण की एक प्रमुख शिक्षा है दूसरों की सेवा करना। वे हमें सिखाते हैं कि हमें बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की मदद करनी चाहिए। श्री कृष्ण कहते हैं कि अच्छे इरादे से किए गए सभी काम, जैसे निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करना, भगवान की सेवा माने जाते हैं और सबसे अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।
जैसे, जब आप अपने दोस्त की मदद करते हो, तो क्या आप बदले में कुछ इनाम चाहते हो? या आप सच्चे दिल से, करुणा और अपने अच्छे स्वभाव के कारण मदद कर रहे हो? हर काम के पीछे का उद्देश्य बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर आप इनाम के लिए किसी की मदद करते हैं तो श्रीकृष्ण की नजर में इसका कोई मूल्य नहीं है। आपका इरादा बहुत ज़रूरी है, तो इसलिए हमें अच्छे इरादे से काम करना चाहिए।
4. करुणा और निःस्वार्थ भाव
भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों के अनुसार, जब हमारे काम ऊपर बताए गए तीन शिक्षाओं से प्रभावित होते हैं, यानी निःस्वार्थ कर्म, अपने कर्तव्य को निभाना और सही इरादे से काम करना, तो हम दया और विनम्रता विकसित करते हैं। हम एक अच्छे इंसान बनते हैं, जो केवल अपनी खुशी के लिए नहीं, बल्कि दूसरों की खुशी के लिए भी काम करते हैं। हम दूसरों के प्रति सहानुभूति और करुणा विकसित करते हैं, जिससे हम और बेहतर इंसान बनते हैं।
प्यारे बच्चों जब आप करुणापूर्वक किसी बूढ़े व्यक्ति की समान उठाने में मदद करते हो, किसी छोटे बच्चे को सड़क पार करने में मदद करते हो, अपनी टीचर की भारी किताबें उठाने में मदद करते हो, या अपनी मम्मी की रसोई में प्यार से मदद करते हो, और जब आप अपने आस-पास के जानवरों और पौधों का ख्याल रखते हो – ये सभी अच्छे काम होते हैं। ऐसे काम आपको एक अच्छा इंसान बनाते हैं और भगवान को बहुत प्रिय लगते हैं।
5. भगवान के प्रति समर्पण
श्रीकृष्ण हमें सिखाते हैं कि हमें अपने अहंकार और इच्छाओं को भगवान को समर्पित कर देना चाहिए और भगवान पर पूरा भरोसा रखना चाहिए। भगवान के प्रति समर्पण दिखाने के लिए हम कई तरीकों को अपना सकते हैं जिससे हम अपनी प्यार और भक्ति दर्शा सकते हैं। इनमें भगवान के नाम का जाप करना (कीर्तन करना), भजन गाना, भगवान से जुड़ी किताबें पढ़ना और समझना, ध्यान करना, और दूसरों की सेवा करना शामिल है। ये सभी काम भगवान के प्रति हमारी सच्ची भक्ति दिखाते हैं और हमें उनके और करीब ले जाते हैं।
तो बच्चों, जब आप पूजा करते हैं, भजन गाते हैं, दूसरों की मदद करते हैं (जैसे अपने दोस्तों और परिवार की), ये सब भगवान के प्रति अपना प्यार दिखाने के तरीके हैं।
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6. भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति बढ़ाना
भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों के अनुसार, हमें भगवान के प्रति सच्चे प्यार और भक्ति को बहुत महत्व देना चाहिए। जब हम पूरी तरह से भगवान को समर्पित होते हैं, तो हमारा उनसे रिश्ता गहरा होता है।
प्रेम और भक्ति भगवान तक पहुँचने का सबसे शक्तिशाली तरीका है। जब हमारा भगवान से रिश्ता मजबूत होता है, तो हम अपने हर भाव, जैसे प्रेम, दुख, गुस्सा और खुशी, उनके सामने व्यक्त कर सकते हैं। हमारी सभी भावनाएँ भगवान के प्रति हमारे सच्चे प्यार और भक्ति को दर्शाएँगी।
बच्चों, कई बार हम अपने माता-पिता से नाराज़ हो जाते हैं या उनकी बातों से उदास हो जाते हैं। लेकिन फिर भी हम बिना डरे अपनी भावनाएँ उनके सामने व्यक्त करते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि हमारे माता-पिता हमसे बहुत प्यार करते हैं और हमारी परवाह करते हैं।
इसी तरह, जब आप भगवान श्री कृष्ण से जुड़ते हैं, तो आप अपनी हर भावना, जैसे खुशी, उदासी या गुस्सा, उनके सामने खुलकर बता सकते हैं। भगवान हमेशा आपकी सुनते हैं और आपसे बहुत प्यार करते हैं।
7. आत्मज्ञान: अपने सच्चे स्वरूप को पहचानें
भगवान श्रीकृष्ण के भगवद् गीता में दिए गए उपदेशों के अनुसार, आत्मज्ञान का मतलब है अपने सच्चे स्वरूप को पहचानना और समझना। यह समझना कि हम और भगवान एक ही हैं।
श्रीकृष्ण बताते हैं कि आत्मज्ञान को पाने के लिए कई रास्ते हैं, जैसे भक्ति (भगवान के प्रति प्रेम), ज्ञान (सच्ची समझ), और निष्काम कर्म (बिना किसी चाह के अच्छे काम करना)। जब हम इन रास्तों पर चलते हैं, तो हम अपने असली स्वरूप को समझ सकते हैं और भगवान से जुड़ सकते हैं।
प्यारे बच्चों, आप खुद को कैसे जान सकते हो? आप अपनी आत्मा की आवाज़ कैसे सुन सकते हो? आत्मज्ञान क्या है? श्री कृष्ण कहते हैं, जब आप भगवान का ध्यान करते हो और उनकी भक्ति करते हो, तो आपको इन सवालों के जवाब मिल सकते हैं। आप दया, धर्म और सही कर्म के रास्ते पर चल कर हो। जब आप सही ज्ञान और समझ हासिल करते हो तब आप जीवन में सही दिशा में चल सकते हो और सही काम कर सकते हो।
बच्चों, श्रीकृष्ण की इन शिक्षाओं को अपने जीवन अपनाकर आप जीवन में सुख और सफ़लता प्राप्त कर सकते हैं। भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों को अपनाकर आप खुद को एक बेहतर इंसान बना सकते हो। इन उपदेशों का पालन करके आप भगवान के और करीब जा सकते हो और अपने मन में दया और करुणा की भावना को जगा सकते हैं।
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