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गुरु रविदास जी की शिक्षाएँ (Teachings of Guru Ravidas Ji in Hindi)

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गुरु रविदास जी की शिक्षाएँ (Teachings of Guru Ravidas Ji in Hindi)

गुरु रविदास जी, जिन्हें संत रविदास भी कहा जाता है, 15वीं-16वीं शताब्दी के महान संत, कवि और आध्यात्मिक गुरु थे। उन्होंने लोगों को समानता, विनम्रता और भगवान के प्रति भक्ति का महत्व समझाया। गुरु रविदास जी का जन्म 1377 ईस्वी में वाराणसी के पास एक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्होंने अपने उपदेशों से लोगों को खुद को और भगवान को समझने का आसान तरीका बताया।


myNachiketa गुरु रविदास जी की शिक्षाएँ प्रस्तुत करता है। बच्चों, आइए इन शिक्षाओं से सीखें और उन्हें अपने जीवन में अपनाएँ। गुरु रविदास जी ने हमें सिखाया कि सभी इंसान बराबर हैं। हमें एक-दूसरे से प्यार करना चाहिए और सबका सम्मान करना चाहिए।


1. सभी लोगों के प्रति समानता

गुरु रविदास जी ने सिखाया कि सभी लोग समान हैं, चाहे उनकी जाति, धर्म या पारिवारिक परिस्थितियाँ कुछ भी हो। उनका मानना था कि कोई बड़ा या छोटा नहीं होता और हर किसी को एक जैसा सम्मान और आदर मिलना चाहिए।

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इसलिए बच्चों, अपने दोस्तों, सहपाठियों और पड़ोसियों के साथ दयालुता से पेश आओ, चाहे वे कैसे भी दिखते हों या कहीं से भी आए हों। सभी से वैसा ही व्यवहार करो जैसा आप खुद से साथ चाहते हैं।


2.   ईश्वर सभी में निवास करते हैं

गुरु रविदास जी मानते थे कि भगवान हर जीव के दिल में रहते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान सिर्फ मंदिरों, रीति-रिवाजों या किसी खास समुदाय तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हर जीव में मौज़ूद हैं। गुरु रविदास जी ने हमें सिखाया कि भगवान को अपने अंदर और दूसरों में ढूँढना चाहिए। यही सच्ची समझ पाने का रास्ता है। यह विश्वास हमें हर जीव के प्रति प्रेम और करुणा से भर देता है।


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तो बच्चों, हर किसी को खास मानो क्योंकि उनके अंदर भगवान हैं। अगर आप किसी को दुख पहुँचाते हो, तो यह भगवान को दुख पहुँचाने जैसा है। इसलिए सभी के साथ दया और प्रेम से पेश आओ।

 
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3. किरत की पवित्रता और सम्मान

गुरु रविदास जी ने शारीरिक मेहनत और ईमानदारी से काम करने को बहुत महत्व दिया। उन्होंने सिखाया कि हर काम, अगर ईमानदारी और लगन से किया जाए, तो वह पवित्र और सम्मान के लायक होता है। गुरु रविदास जी ने कहा कि सच्चे मन और मेहनत से काम करना भगवान का सम्मान करने का एक तरीका है।


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प्यारे बच्चों, अपना होमवर्क और स्कूल का काम ईमानदारी से करो। नकल नहीं करनी चाहिए और किसी को धोखा नहीं देना चाहिए, क्योंकि ईमानदारी जीतने या पुरस्कार पाने से ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है। हमेशा याद रखना, भगवान उन्हें पसंद करते हैं जो ईमानदार और मेहनती होते हैं।

 

4. आत्मज्ञान और आंतरिक शांति (सहज) का महत्व

गुरु रविदास जी ने सहजता के बारे में बताया, जो एक ऐसी स्थिति है जहाँ आत्मा, परमात्मा से जुड़ जाती है। यह कोई बाहरी चीज नहीं है जिसे हम पा सकते हैं, बल्कि यह हमारे अंदर से आती है। इसे भक्ति, ध्यान और आत्मज्ञान से पाया जा सकता है।


गुरु रविदास जी ने सिखाया कि यह दुनिया भले ही अलग-अलग दिखती हो, लेकिन यह सब भगवान की शक्ति का एक रूप है। जब हम इस एकता को समझ जाते हैं, तो हम विनम्र बन जाते हैं और सभी के साथ मिल-जुलकर शांति से रहते हैं।

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तो बच्चों, सहज हमें सिखाता है कि शांति हमारे अंदर से आती है। जब चीजें हमारी सोच के अनुसार नहीं होतीं, तो गुस्सा करने या उदास होने की बजाय, हम ध्यान करके शांत रहना सीख सकते हैं।

 

5. निराकार ईश्वर (निर्गुण) की भक्ति

गुरु रविदास जी ने भगवान को निरगुण बताया, जिसका मतलब है कि भगवान का कोई रूप नहीं होता। उन्होंने कहा कि भगवान इंसानी समझ से परे हैं और हर जगह मौजूद हैं। गुरु रविदास जी ने निरगुण भक्ति का पालन किया, जो भगवान को भक्ति, प्यार और अपने दिल से जोड़कर अनुभव करने पर आधारित है।


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प्यारे बच्चों, जब आप भगवान को बिना किसी रूप के और हर चीज में मौजूद मानते हैं, जैसे प्रकृति, लोग और खुद में, तो आप उनका सम्मान करना शुरू कर देते हैं।

 

6. सरल और विनम्र जीवन जियें

गुरु रविदास जी ने सिखाया कि खुशियाँ सादा जीवन जीने और लालच न करने से मिलती हैं। उन्होंने बताया कि संतुष्ट होना और चीजों से ज़्यादा जुड़ाव न रखना बहुत ज़रूरी है। उनका मानना था कि सादा जीवन जीने से हम महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान दे सकते हैं—जैसे ज्ञान पाना, अच्छे काम करना और दूसरों की मदद करना।

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प्यारे बच्चों, अपने खिलौनों, कपड़ों और किताबों से खुश रहना सीखो। खुद की दूसरों से तुलना नहीं करनी चाहिए और हमेशा नई चीज़ें की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। इसके बजाय, अपनी चीजें उन लोगों के साथ बाँटो जिन्हें उनकी आपसे ज़्यादा जरूरत है।

 

7. बेगमपुरा- "दुख रहित शहर"

"बेगम" का मतलब है "दुख के बिना," और "पुरा" का मतलब है "जगह या शहर।" गुरु रविदास जी ने एक ऐसी दुनिया का सपना देखा जहाँ हर कोई खुशी से रहता हो और एक-दूसरे का सम्मान करता हो। बेगमपुरा का मतलब है शांति और संतोष से भरी जिंदगी, जहाँ सभी लोग भाईचारे और न्याय के साथ रहें।


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बच्चों, जब आप सभी से प्यार और सम्मान का व्यवहार करते हैं, तो आप अपने आस-पास एक अच्छा माहौल बना सकते हैं और एक बेहतर और खुशहाल दुनिया बनाने में मदद कर सकते हैं।

 
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बच्चों, आप गुरु रविदास जी की शिक्षाओं को अपनाकर एक दयालु और विनम्र इंसान बन सकते हैं। ऐसे इंसान जो इस दुनिया को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। ये शिक्षाएँ हमें समानता, सच्चाई और निस्वार्थ सेवा के साथ जीवन जीने में मदद करती हैं।

 
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