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भगवान शिव कौन हैं- बच्चों के लिए भगवान शिव के बारे में जानकारी (Who is Bhagwan Shiva in Hindi- All about Bhagwan Shiv for Children)

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भगवान शिव कौन हैं? (Who is Bhagwan Shiv

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

Om Tatpurushaya Vidmahe Mahadevaya

Dhimahi Tanno Rudrah Prachodayat

 

हम भगवान शिव का ध्यान करते हैं जो शुद्धता और सत्य का प्रतीक है। हम महादेव को नमन करते हैं जो सभी देवताओं में सर्वोच्च हैं और देवों के देव हैं। वह रुद्र (शिव का एक अन्य नाम) हमें ज्ञान और प्रकाश प्रदान करें।


भगवान शिव, हिंदू धर्म में सबसे पूजनीय देवताओं में से एक हैं। वे त्रिमूर्ति (तीन मुख्य देवता) का हिस्सा हैं, जिनमें ब्रह्मा (सृष्टि के रचयिता) और विष्णु (पालनकर्ता) भी शामिल हैं। शिव को विनाश और परिवर्तन का देवता माना जाता है, जो सृष्टि के पालन और विनाश के चक्र को दर्शाते हैं। शिव अनादि हैं यानि वो समय से परे हैं और वह अनंत भी हैं यानी उनकी कोई सीमा नहीं है। इन गुणों के कारण भगवान शिव को परम शक्ति माना जाता है।


शिव-नाम

"शिव" का अर्थ है "मंगलकारी"। शिव नाम का अर्थ इस शब्द का विभाजन करके भी समझाया जाता है: 'शि' का मतलब है जीवन देने वाली ऊर्जा और 'व' का मतलब है परिवर्तन या सुधार। इससे पता चलता है कि भगवान शिव सृष्टि की रचना और बदलाव करने वाले देवता हैं।


अद्वैत वेदांत में भगवान शिव को ब्रह्म से जोड़ा जाता है। ब्रह्म का मतलब है परम सत्य, जो निराकार और अनंत है। इसका मतलब है कि शिव इस पूरे संसार का एकमात्र सत्य और आधार हैं।


भगवान शिव का रूप

भगवान शिव को अक्सर ध्यान मुद्रा में दिखाया जाता है, उनके चेहरे पर शांति और सुकून का भाव रहता है। भगवान शिव की कुछ प्रमुख विशेषताएँ, उन्हें हिंदू धर्म के अन्य देवताओं से अलग बनाती हैं।


भगवान शिव की मुख्य विशेषताएँ:

  1. तीसरी आँख भगवान शिव के माथे पर तीसरी आँख होती है, जिसे "ज्ञान की आँख या "ज्ञान चक्षु" भी कहा जाता है। शिव जी की तीसरी आँख ज्ञान और सच्चाई को देखने की शक्ति का प्रतीक है। शिवजी की तीसरी आँख खोलन अहंकार के नाश का संकेत है जो सच्चे ज्ञान से आता है। भगवान शिव को "त्र्यंबक" कहा जाता है, जिसका मतलब है "तीन आँखों वाले।"


  2. गले में साँप भगवान शिव के गले में एक साँप लिपटा हुआ दिखाया जाता है। यह उनके डर और अहंकार पर नियंत्रण का प्रतीक है। इसी गुण के कारण भगवान शिव को "नागेश्वर" कहा जाता है, जिसका मतलब है "सर्पों के देवता।"


  3. त्रिशूल भगवान शिव का त्रिशूल यह दिखाता है कि वे सृष्टि की रचना, पालन और विनाश - तीनों को नियंत्रित करते हैं। इसी कारण भगवान शिव को "शूलपाणि" कहा जाता है, जिसका मतलब है "त्रिशूल धारण करने वाले।"


भगवान शिव के अलग-अलग नाम और उनके अर्थ व कहानियाँ


1. शंभु - आनंद और खुशी और का स्रोत

भगवान शिव कौन हैं? (Who is Bhagwan Shiv 1

भगवान शिव को "शंभु" कहा जाता है क्योंकि वे हमेशा शांत, सुखी और प्रसन्न रहते हैं, चाहे स्थिति कैसी भी हो। "शंभु" का मतलब है ऐसा व्यक्ति जो प्रकाश और ज्ञान से भरा हो, जो हमेशा खुद पर नियंत्रण रखे और कभी गुस्सा न करे। भगवान शिव की इन अद्भुत खूबियों के कारण उन्हें प्यार से "शंभु" कहा जाता है।


2. महेश्वर - सभी देवताओं और पूरे ब्रह्मांड में सबसे श्रेष्ठ और सर्वोच्च


भगवान शिव कौन हैं? (Who is Bhagwan Shiv 2

महेश्वर नाम दो संस्कृत शब्दों से बना है - "मह" (महान या सर्वोच्च) और "ईश्वर" (शासक या नियंत्रक)। महेश्वर के रूप में भगवान शिव को रचयिता, पालनकर्ता और विनाश्कर्ता के रूप में जाना जाता है। भगवान शिव, महेश्वर के रूप में जीवन, मृत्यु और संसार के चक्र को नियंत्रित करते हैं।

3. गंगाधर - वह जो अपनी जटाओं में माँ गंगा को धारण करते हैं


भगवान शिव कौन हैं? (Who is Bhagwan Shiv 3

गंगाधर नाम दो संस्कृत शब्दों से बना है: गंगा, जो गंगा नदी को दर्शाता है और धर, जिसका मतलब है "धारण करने वाला" या "वाहक"।


हिंदू धर्म की कहानियों के अनुसार, राजा भगीरथ ने माँ गंगा से स्वर्ग से उतरकर धरती पर आने के लिए प्रार्थना की। माँ गंगा ने उनकी बात मानी, लेकिन उनकी तेज धारा से धरती के डूबने और नष्ट होने का खतरा था।


धरती को बचाने के लिए भगवान शिव ने माँ गंगा को अपनी जटाओं में पकड़ लिया। उन्होंने गंगा की तेज धारा को नियंत्रित किया और धरती पर उनके बहाव को धीमा किया, ताकि सभी जीव माँ गंगा के शीतल जल का लाभ पा सकें।


माँ गंगा को अपनी जटाओं में धारण करके भगवान शिव यह दिखाते हैं कि वे बड़ी से बड़ी ताकत को भी नियंत्रित कर सकते हैं और उसे सभी जीवों की भलाई के लिए उपयोग कर सकते हैं।


4 . सोमेश्वर - वह जो अपने सिर पर अर्धचंद्र धारण करते हैं


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संस्कृत में "सोम" का मतलब चंद्रमा होता है। हिंदू कहानियों के अनुसार, चंद्रदेव को राजा दक्ष ने श्राप दिया था कि उनकी चमक खत्म हो जाएगी। चंद्रदेव ने खुद को बचाने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की। उनकी भक्ति से खुश होकर भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने सिर पर जगह दी, ताकि वह पूरी तरह से गायब न हो जाए और चंद्रदेव की रोशनी धीरे-धीरे वापस आती रहे। इसी कारण चंद्रमा घटता और बढ़ता है, जो नएपन के चक्र का प्रतीक है।


चंद्रदेव ने भगवान शिव के जिस रूप की प्रार्थना की, उसे सोमेश्वर महादेव कहा जाता है। इस रूप में भगवान शिव प्रकृति के चक्र (जैसे दिन-रात, चंद्रमा का घटना-बढ़ना) का नियंत्रण करते हैं।

5. अर्धनारीश्वर - वह जिनका आधा स्वरूप स्त्री का है


भगवान शिव कौन हैं? (Who is Bhagwan Shiv 5

यह नाम तीन संस्कृत शब्दों से बना है: अर्ध (आधा), नारी (महिला), और ईश्वर (भगवान)।


हिंदू कहानियों के अनुसार, भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती ने एक बार इच्छा की कि वे हमेशा शिवजी के साथ रहें और उनसे कभी भी अलग न हों। उनकी इस इच्छा को पूरा करने के लिए भगवान शिव ने उन्हें अपने साथ मिला लिया और अर्धनारीश्वर रूप लिया, जिसमें आधा भाग शिव का है और आधा देवी पार्वती का।


अर्धनारीश्वर रूप में भगवान शिव सृष्टि की रचना और विनाश के बीच के संतुलन को दिखाते हैं। यह रूप यह भी बताता है कि पुरुष और स्त्री की ऊर्जा एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं और साथ मिलकर ब्रह्मांड को पूरा और संतुलित बनाती हैं। यह रूप शिव (परम सत्य) और शक्ति (प्रकृति की ताकत) के मिलन को दर्शाता है, जो पूरे ब्रह्मांड को संतुलित और पूर्ण बनाए रखते हैं।


हमें भगवान शिव की पूजा क्यों करनी चाहिए?


भगवान शिव कौन हैं? (Who is Bhagwan Shiv 6

भगवान शिव, जिन्हें भोले भंडारी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के सबसे दयालु और शक्तिशाली देवताओं में से एक हैं। लोग उनकी पूजा इसलिए करते हैं क्योंकि वे हमारी रक्षा करते हैं, मुश्किल समय में हमारी मदद करते हैं और हमें शांत और सुखी रहना सिखाते हैं।


भगवान शिव सभी को समान रूप से प्यार करते हैं और हमें सरल जीवन जीने की शिक्षा देते हैं। वे कैलाश पर्वत पर रहते हैं, साधारण कपड़े पहनते हैं और ध्यान करते हैं। भगवान शिव के यह गुण हमें सिखाते हैं कि खुशी महंगी चीजों से नहीं, बल्कि शांति और संतोष से मिलती है।


भगवान शिव दया, ज्ञान और शक्ति के प्रतीक हैं। वे हम सब से प्यार करते हैं और हम पर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं। भगवान शिव हमें यह सिखाते हैं कि हर अंत एक नई शुरुआत का संकेत है जो हमें जीवन के नएपन और बदलाव के चक्र की याद दिलाते हैं।

 
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भगवान शिव कौन हैं? (Who is Bhagwan Shiv 7
 
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