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कृष्ण भगवान की कहानियां

कृष्ण हिंदू धर्म में एक प्रिय और पूजनीय देवता हैं। हिंदू पुराणों के अनुसार, वह वृंदावन में रहते थे। बचपन में, वह बहुत ही चंचल थे और गाँववालों को अपनी लीलाओं से हैरान कर देते थे। वह मधुर बांसुरी बजाते थे, जिसे सुनकर सभी मंत्रमुग्ध रह जाते थे।


कृष्ण नटखट होने के साथ ही बहुत बहादुर भी थे। उन्होंने अपने दोस्तों और परिवार को खतरों से बचाया और सभी को दयालु और प्रेमपूर्ण बनने की शिक्षा दी। उन्होंने जीवन और भगवान के बारे में महत्वपूर्ण शिक्षाएँ दीं, जो भगवद गीता नामक किताब में संकलित हैं।


myNachiketa आपके लिए लाया है 8 अद्भुत कृष्ण कहानियाँ हैं जो बच्चों को मस्ती करने के साथ-साथ दयालु और बहादुर बनने की सीख भी देती हैं।


Krishna Stories
 

श्री कृष्ण जन्म कथा

Krishna birth story

यह भागवतं से अच्छाई की बुराई पर जीत की एक रोमांचक कहानी है। अत्याचारी राजा कंस ने अपनी बहन देवकी और उनके पति वसुदेव को बंदी बना लिया क्योंकि एक भविष्यवाणी के अनुसार देवकी का आठवां पुत्र उसे पराजित करने वाला था। कृष्ण ने उनके आठवें पुत्र के रूप में जन्म लिया। वसुदेव ने बाल कृष्ण को यमुना नदी के पार गोकुल में पहुँचाया, जहाँ कृष्ण को नंद और यशोदा ने प्यार से पाला। जानें कि कैसे कृष्ण ने कंस को अपने बुरे काम की सज़ा दी।


 


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कृष्ण और फलवाली

krishna and the fruit seller

नन्हे कृष्ण को मीठे फल बहुत पसंद थे। एक दिन, सुखिया नाम की एक फल बेचने वाली गोकुल आई। उसने कृष्ण से मीठे फलों के बदले कुछ गेहूँ के दाने माँगे। क्या कृष्ण दाने लाए? क्या उन्हें फल मिले? आइए जानें कि भागवत पुराण की इस सुंदर कथा में आगे क्या हुआ।




 

कृष्ण के मुख में ब्रह्मांड - कृष्ण लीला


The universe in Krishna’s mouth

यह हमारी कृष्ण भगवान की कहानियों के संग्रह से एक और अनोखी कहानी है। नन्हे कृष्ण ने अपने दोस्तों के साथ खेलते समय कुछ मिट्टी खा ली, और उनके भाई बलराम ने उनकी माँ यशोदा को बता दिया। जब यशोदा ने कृष्ण से अपना मुँह खोलने को कहा, तो वह यह देखकर हैरान रह गईं कि उनके मुँह के अंदर पूरा ब्रह्मांड दिख रहा था। इस घटना से पता चलता है कि कृष्ण दिव्य हैं और पूरा ब्रह्मांड भगवान के अंदर है।


 

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कृष्णा ने उठाया गोवर्धन पर्वत - कृष्ण लीला

Krishna lifted Govardhan Parvat

भागवतं की एक कहानी जो भगवान की महानता को दर्शाती है। कृष्ण के सुझाव पर, वृंदावन के लोगों ने भगवान इंद्र की बजाय गायों और गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कर दी। इससे नाराज होकर, इंद्र ने गाँववालों को दंडित करने के लिए एक तूफान भेजा, लेकिन कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली से गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी को उसके नीचे सुरक्षा दी। लगातार सात दिनों तक बारिश के बाद, इंद्र ने अपनी गलती को समझा और माफी माँगी। यह कहानी निष्काम भाव से कर्तव्यों का पालन करने और कठिन समय में भगवान पर विश्वास रखने के महत्व को महत्व देती है।



 

कृष्ण और कालिया नाग-कृष्ण लीला

Krishna and Kaliya Naag

भागवतं की एक मज़ेदार और अर्थपूर्ण कहानी, जिसमें कृष्ण अपनी दिव्यता से बुराई को दूर करते हैं और सभी को अहंकार से मुक्त होने की शिक्षा देते हैं। एक दिन, यमुना नदी के किनारे खेलते हुए, कृष्ण की गेंद पानी में गिर गई, जहाँ एक खतरनाक नाग कालिया रहता था। अपने दोस्तों के माना करने के बावजूद, कृष्ण पूरे साहस नदी में उतरे। आइए कहानी पढ़ें और जानें कि कृष्ण ने कैसे कालिया को पराजित किया और उसे एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया।

 
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ब्रह्माजी का संदेह - कृष्ण लीला

Lord Brahma's doubt

भागवतं की इस कहानी में, कृष्ण ने भगवान ब्रह्मा को यह अहसास दिलाया कि इस संसार की हर चीज भगवान का रूप है। कृष्ण की दिव्यता की परीक्षा लेने के लिए, भगवान ब्रह्मा ने वृंदावन की गायों और ग्वालों को अपने लोक में छिपा लिया। कृष्ण ने भगवान ब्रह्मा के इरादे को समझ गए और उन्होंने खुद ही सभी गायों और ग्वालों का रूप ले लिया और एक साल तक बिना किसी की नजर में आए गाँववालों के बीच रहे। भगवान ब्रह्मा समझ गए कि इस संसार के सभी जीव और वस्तुएँ भगवान के ही रूप हैं और अपनी गलती सुधारकर सभी को वापस कर दिया।


 

नारद ने जाना माया का रहस्य

Narad learned the secret of illusion

भागवतं की एक विचार करने लायक कहानी जो सत्य और माया (भ्रम) के बीच अंतर को दर्शाती है। हमें माया के जाल में नहीं फंसना चाहिए और अपने निर्णय ज्ञान और बुद्धि के आधार पर लेने चाहिए। आइए इस रोमांचक यात्रा पर हमारे साथ जुड़ें, जहां कृष्ण और नारद एक रेगिस्तान के माध्यम से गए, और कृष्ण ने नारद को यह अहसास दिलाया कि कैसे माया हमें झूठ को सच मानने पर मजबूर कर देती है।


 

अर्जुन की दुविधा

Arjuna's dilemma

महाभारत की इस घटना में, कृष्ण और अर्जुन युद्धभूमि पर हैं, जहाँ कृष्ण अर्जुन को उनका कर्तव्य याद दिलाते हैं कि उन्हें बुराई के खिलाफ हर हाल में लड़ना चाहिए। कर्तव्य सभी चीज़ों से ऊपर है। कौरव पांडवों को उनके राज्य का हिस्सा देने को तैयार नहीं थे। यह विवाद कुरुक्षेत्र के युद्धभूमि पर पांडवों और कौरवों के बीच एक युद्ध के माध्यम से सुलझाया जाना था। अर्जुन अपने प्रियजनों के खिलाफ लड़ने में हिचकिचा रहा था। भगवान कृष्ण, अर्जुन के सारथी के रूप में, उन्हें सिखाते हैं कि किसी भी स्थिति में अपने कर्तव्य को निभाना सबसे महत्वपूर्ण है, भले ही इसके लिए प्रियजनों के खिलाफ जाना पड़े। यह कहानी बच्चों को कर्तव्य के महत्व को सिखाने में मदद करती है।


 
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